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झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही से महिला की मौत, ग्रामीणों में आक्रोश

Quack doctor Mata village Unnao gives wrong injection, woman dies

झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही से महिला की मौत, ग्रामीणों में आक्रोश

स्थान: मैता गांव, अजगैन थाना क्षेत्र, उन्नाव, उत्तर प्रदेश
तारीख: 18 जून 2025
रिपोर्टर: पलतक न्यूज़ ब्यूरो

उन्नाव जिले के मैता गांव में एक दर्दनाक और चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही ने एक महिला की जान ले ली। मामूली बुखार की शिकायत को लेकर डॉक्टर के पास पहुंची महिला को ऐसा इंजेक्शन दे दिया गया जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना के बाद इलाके में भारी आक्रोश है और ग्रामीणों ने क्लीनिक को घेरकर हंगामा किया।


महिला की पहचान और घटनाक्रम

मृतका की पहचान 32 वर्षीय सरिता देवी के रूप में हुई है, जो मैता गांव की रहने वाली थीं। उन्हें दो दिन से बुखार था और वे पास के एक क्लीनिक पर इलाज के लिए गई थीं। उस क्लीनिक को रमेश यादव नाम का व्यक्ति चला रहा था, जो कोई प्रमाणित डॉक्टर नहीं था। जैसे ही रमेश ने सरिता को इंजेक्शन लगाया, वह तड़पने लगी और कुछ ही पलों में उसकी मृत्यु हो गई।


झोलाछाप डॉक्टर पर आरोप

रमेश यादव, जो पिछले कई वर्षों से बिना किसी मेडिकल डिग्री के क्लीनिक चला रहा था, पर पहले भी कई बार लापरवाही के आरोप लगे थे। गांव वालों का कहना है कि उन्होंने कई बार प्रशासन को जानकारी दी, लेकिन कभी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अब जब एक महिला की मौत हो गई, तब जाकर पुलिस हरकत में आई।


ग्रामीणों ने क्लीनिक घेरा, पुलिस को बुलाया

घटना के तुरंत बाद सरिता देवी के परिजन और गांव के लोग इकट्ठा हो गए। लोगों ने रमेश यादव के क्लीनिक को घेर लिया और पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची और रमेश यादव को हिरासत में ले लिया गया है। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया और केस दर्ज कर लिया है।


पोस्टमार्टम रिपोर्ट और FIR

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ है कि महिला की मौत इंजेक्शन की रिएक्शन से हुई है। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 304A (लापरवाही से मौत) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। अब जांच की जा रही है कि रमेश यादव के पास कौन-कौन से दवाइयां और उपकरण थे और क्या वह पहले भी किसी ऐसे केस में शामिल था।


प्रशासन की भूमिका पर सवाल

स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे फर्जी डॉक्टरों को खुलेआम काम करने की अनुमति कैसे दी जाती है? स्वास्थ्य विभाग की ओर से नियमित निरीक्षण क्यों नहीं किए जाते?


क्या कहता है कानून?

भारत में बिना MBBS या किसी मान्यता प्राप्त मेडिकल डिग्री के इलाज करना गैरकानूनी है। Medical Council of India के नियमों के अनुसार कोई भी व्यक्ति बिना लाइसेंस के न तो इलाज कर सकता है और न ही दवाइयां दे सकता है। ऐसे मामलों में दोषी को जेल और जुर्माने की सजा हो सकती है।


सरकार से मांग

ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन से मांग की है कि ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों पर तुरंत और कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही मृतक महिला के परिवार को उचित मुआवज़ा देने की भी मांग की गई है।

📌 External Reference:

Source: Times and Space – उन्नाव में झोलाछाप डॉक्टर से मौत की खबर


डिस्क्लेमर: यह खबर स्थानीय रिपोर्ट और प्रारंभिक पुलिस जानकारी पर आधारित है। जांच के निष्कर्ष आने तक तथ्य बदल सकते हैं।


निष्कर्ष

मैता गांव की यह घटना न सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी है बल्कि यह पूरे स्वास्थ्य तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े करती है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस पर क्या कार्रवाई करता है और क्या इस तरह की घटनाओं को भविष्य में रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाया जाएगा या नहीं।


 

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